एक बात आज तक समझ मे नहीं आई! माना जूता छुपाई वह रस्म है, जो सालियाँ शादी के वक्त अदा करती हैं। मगर .
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मगर मंदिर के बाहर यह रस्म कौन से साले अदा कर जाते हैं?
जीवन में एक ऐसा मोड़ भी आता है
जहाँ रास्ता दूर दूर तक दिखाई नहीं देता
दिखाई देती है तो बस एक उम्मीद
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उसी उम्मीद को हम
"भगवान" कहते हैं
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग...
जब "रूह" निकल जाएगी तो कफन हटा हटा
कर देखेंगे लोग.